मेरी डायरी ……
- MOUNIKA AND TANISHKA
- Nov 1, 2015
- 2 min read
27 जून 2015,
प्रिय डायरी,
आज का दिन खास है क्योंकि पच्चीस साल के बाद मैं मुंबई लोट रही हूँ। इतने
सालो बाद इस शहर का अनुभव बहुत ही अलग है। आज जब मैं सुबह बाहर
निकली तो वह सारे दृश्य परिवर्तित हो चुके है । हवा में निर्मलता और ताज़गी
नहीं थी , बल्कि वाहनो और उसकी जगह दुकाने और इमारते ले चुकी थी। मन में
एक पीड़ा उठी की यह शहर इतना कैसे बदल गया। आधुनकीकरण और
भूमिमंडलीया तापक्रम ने इस शहर की सादगी और निश्चलता को नष्ट कर दिया
था। जगह जगह कूड़े कचरे का बड़ा बड़ा ढेर लगा हुआ था , जिसे देखकर मन
व्यथित हो उठा। १९९० में जो शहर खली था , आज उसमें इतनी भीड़ - भाड़ और
जनसँख्या देखने को मिली की पैर रखना भी असंभव प्रतीत हो रहा था। वायु
प्रदूषण के कारण पहले ही मेरा दम घुट रहा था। जगह -जगह गंदे नाले दिखाई दे
रहे थे और चौपाटी की अवस्था दयनीय थी।
"कहाँ खो गया मेरा वह सपनो का सुन्दर शहर "
जिस सपनो के शहर में झूमते पेड़ ,चहचहती चिड़िया की ध्वनि , मंद-मंद हवा
चलती थी , आज यह सब कर्णकटु ध्वनि में परिवर्तित हो गया है। आज समय की
मांग है बदलाव - एक स्वच्छ और सुन्दर मुंबई बनानी की। ज़रुरत है लोगो में
जागरूकता लेने की। आज हम मेहेंगी गाड़ी में बैठकर सफर करते हैं परन्तु
चलती गाड़ी से कचरा बाहर फेंकने में शर्म नहीं महसूस करते। यह एक इन्सान के
बदलाव से साफ़ नहीं हो सकती। एक तरफ काटर रोड पर मन मोहता सूर्यास्त का
दृश्य , वर्ली सीफेस मरीन लाइन्स को देखर हमे गर्व महसूस होता है। हमें एक
जुट खोकर कोशिश करनी चाहिए की हम एक स्वच्छ और सुन्दर मुंबई बना
सकें।
प्यार से,
आरोही
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