मेरी कथा
- ANJALI
- Nov 2, 2015
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आओ मै सुनाऊँगी एक कहानी
लेकिन तुमको होगी सुनकर हैरानी।
यूँ तो मै पैदा हुई थी एक नाजुक सी कली
बढ़ चढ़ कर हुई मै इतनी बड़ी।
खेलते थे मुझसे बच्चे सभी
न जाने कब गए वह सब सुधर
न कूदते थे अब वह इधर -उधर।
एक दिन आई मेरी बारी
मेरे पास आई एक लम्बी सी आरी
काटा गया मुझे पकड़-पकड़कर
मेरे हाथ पैरों को जकड-जकडकर।
तोला था मनुष्य ने मुझको भाव में
पता नहीं था उनको कि फिर न मिलूंगी मै इस गाँव में।
पेंसिल बनकर लोगो को मै बहुत भाई
लेकिन अपना अंतिम समय न जान पाई।
दर्द हुआ था भयंकर मुझको
जब छीला था एक शार्पनर ने मुझको।
अंतिम समय जब आया था
याद मुझे अपना बचपन आया था।
कैसे की थी मैंने संसार की भलाई
अपने मीठे फल संसार को खिलाये
फिर भी संसार ने मुझे गहरे ज़ख़्म लगाये।
लोगों को याद रहा मुझे सताना
लेकिन मुझे तो आता है केवल प्यार जाताना।
यकीं है मुझे याद आएगा लोगों को ये जमाना
आगे चलकर हम भी होंगे जीवन का खज़ाना।
फिर एक दिन ऐसा आया
रो रहा था सारा जमाना
याद हमें लोगो ने करा था
लेकिन तब तक मेरा अस्तित्व समाप्त हो चुका था।
अंजलि शर्मा
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